इसका वर्णन मत्स्य और लिंग पुराण में किया गया है। तरह-तरह के फलों, वस्त्रों और आभूषणों से कल्पवृक्ष बनाया जाता है। इसमें दान देने वाला अपनी सामर्थ्य के अनुसार सोने का इस्तेमाल करता है।
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