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गंगा में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो नर्मदा स्नान करके पाएं संगम स्नान से भी ज्यादा पुण्य, जानिए शास्त्र सम्मत जानकारी

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ganga triveni sangam: गंगा को छोड़कर भारत की सभी नदियां धरती की नदियां हैं। उनमें से सिंधु, सरस्वती, वितस्ता, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, क्षिप्रा, गोदावरी, कृष्ण और कावेरी नदी को सबसे पवित्र माना गया है। इन सबसे पवित्र नदियों में भी नर्मदा को और भी पवित्र और श्रेष्ठ बताया गया है। पुराणों में नर्मदा नदी को गंगा से भी श्रेष्ठ और मोक्षदायिदी नदी कहा गया है। यदि आप प्रयागराज महाकुंभ में गंगा स्नान नहीं कर पाए हैं तो नर्मदा स्नान करके गंगा स्नान से कहीं अधिक पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। नर्मदा को तपस्विनी कहा गया है। जानिए कि यह बात शास्त्र सम्मत है या नहीं?ALSO READ: magh purnima kumbh snan: प्रयाग कुंभ के महासंयोग में माघ पूर्णिमा का महास्नान, जानिए मुहूर्त

 

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार नर्मदा को भारत की सबसे प्राचीन नदियों में से एक माना जाता है। पुराण, वेद, महाभारत और रामायण सभी ग्रंथों में इसका जिक्र है। नर्मदा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के अमरकंटक स्थान से होता है और गुजरात के खंबात की खाड़ी के समुद्र में इसका विलय हो जाता है। करीब 1300 किमी. की यात्रा में नर्मदा पहाड़, जंगल और कई प्राचीन तीर्थों से होकर गुजरती है।

 

नर्मदा स्नान कहां करें: 1.ओंकारेश्वर, 2.महेश्वर, 3. मंडलेश्वर, 4. नर्मदापुरम, 5.नेमावर, 6.ममलेश्वर, 7. अमरकंटक, 8. जबलपुर भेड़ाघाट, 9. बावनगजा, 10. मंडला, 11.शूलपाणी, 13. भड़ूच।

 

1.

'गंगा कनखले पुण्या, कुरुक्षेत्रे सरस्वती, ग्रामे वा यदि वारण्ये, पुण्या सर्वत्र नर्मदा।'

अर्थात्- गंगा कनखल में और सरस्वती कुरुक्षेत्र में पवित्र है, किंतु गांव हो या वन नर्मदा हर जगह पुण्य प्रदायिका महासरिता है।

 

2. त्रिभीः सास्वतं तोयं सप्ताहेन तुयामुनम् सद्यः पुनीति गांगेयं दर्शनादेव नार्मदम्।- मत्स्यपुराण 

अर्थात सरस्वती में तीन दिन, यमुना में सात दिन तथा गंगा में एक दिन स्नान करने से मनुष्य पावन होता है लेकिन नर्मदा के दर्शन मात्र से व्यक्ति पवित्र हो जाता है।

 

3. पुराणों में वर्णित हैं कि नर्मदा जी वैराग्य की अधिष्ठात्री मूर्तिमान स्वरूप, गंगा जी ज्ञान की, यमुना जी भक्ति की, गोदावरी ऐश्वर्य की, कृष्णा कामना की, ब्रह्मपुत्रा तेज की, और सरस्वती जी विवेक के प्रतिष्ठान के लिए संसार में आई हैं।

 

4. मत्स्य पुराण में नर्मदा की महिमा का वर्णन कुछ इस तरह मिलता है कि- यमुना का जल एक सप्ताह में, सरस्वती का तीन दिन में, गंगा जल उसी दिन और नर्मदा का जल उसी क्षण पवित्र कर देता है।' 

 

5. भारतीय पुराणों के अनुसार नर्मदा नदी को पाताल की नदी माना जाता है। नर्मदापुरम से आगे बहते हुए यह नदी नेमावर में बहती है। नेमावर नगर में नर्मदा नदी का नाभि स्थल है। कहा जाता है कि इस नदी के भीतर कई रास्ते हैं, जिनसे पाताल लोक पहुंचा जा सकता है।ALSO READ: महाकुंभ में 40 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

 

6. स्कंद पुराण में वर्णित है कि राजा-हिरण्यतेजा ने चौदह हजार दिव्य वर्षों की घोर तपस्या से शिव भगवान को प्रसन्न कर नर्मदा जी को पृथ्वी तल पर आने के लिए वर मांगा। शिव जी के आदेश से नर्मदा जी मगरमच्छ के आसन पर विराज कर उदयाचल पर्वत पर उतरीं और पश्चिम दिशा की ओर बहकर आगे चली गईं।

 

7. स्कंद पुराण के रेवाखंड में ऋषि मार्केडेयजी ने लिखा है कि नर्मदा के तट पर भगवान नारायण के सभी अवतारों ने आकर मां की स्तुति की। सत्‌युग के आदिकल्प से इस धरा पर जड़, जीव, चैतन्य को आनंदित और पल्लवित करने के लिए शिवतनया का प्रादुर्भाव माघ मास में हुआ था।

 

8. आदिगुरु शंकराचार्यजी ने नर्मदाष्टक में माता को सर्वतीर्थ नायकम्‌ से संबोधित किया है। अर्थात माता को सभी तीर्थों का अग्रज कहा गया है। 

 

9. पुराणों में ऐसा वर्णित है कि संसार में एकमात्र मां नर्मदा नदी ही है जिसकी परिक्रमा देवता, सिद्ध, नाग, यक्ष, गंधर्व, किन्नर, मानव आदि सभी करते हैं। कहते हैं कि कभी भी नर्मदा को लांघना नहीं चाहिए। 

 

10. भारत में कई नदियां पश्‍चिम से होकर पूर्व में बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। वहीं नर्मदा जिसे रेवा भी कहते हैं जो पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है और अरब सागर में जाकर गिरती है।


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