कहा जाता है कि ज्ञानगंज का निर्माण विश्वकर्मा जी ने किया था। यहां एक आश्रम है, जहां हजारों वर्षों से सिद्ध पुरुष तपस्यारत हैं। कहा जाता है कि ज्ञानगंज में समय ठहरा हुआ है। यहां रहने वाले सिद्ध पुरुषों को अमरता का वरदान प्राप्त है। ऐसी मान्यता है कि ज्ञानगंज के तपस्वी टेलीपैथी के जरिए अपने गुरुओं से बात करते हैं। ज्ञानगंज को शांग्री ला और शंभाला के नाम से भी जाना जाता है।ALSO READ: कैसे बनते हैं अघोरी साधु?
ज्ञानगंज का सटीक स्थान अभी भी ज्ञात नहीं है। कुछ लोग इसे नेपाल, तिब्बत, उत्तराखंड या हिमाचल के किसी गुप्त स्थान में मानते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह कैलाश पर्वत क्षेत्र में कहीं स्थित है। अधिकतर मानते हैं कि यह तिब्बत में पहाड़ों में ही कहीं पर स्थित है। कई लोग ऐसे हैं जो भूल से ज्ञानगंज के क्षेत्र में पहुंच गए थे और वे समय के एक ऐसे आयाम में पहुंच गए थे जहां पर समय ठहरा हुआ है। कई लोग यहां से लौट नहीं पाए। जो लोग यहां से लौट पाए उन्होंने अपने अनुभव सुनाए थे।ALSO READ: तन पर एक भी कपड़ा नहीं पहनती हैं ये महिला नागा साधु, जानिए कहां रहती हैं
कहते हैं ज्ञानगंज से कई साधु हरिद्वार और प्रयाग के कुंभ मेले में जरूर आते हैं। कहते हैं कि उन संतों को कुछ लोग ही देख पाते हैं। जैसे किसी साधु के कैंप में चार संत बैठे है और आप यदि वहां उनके दर्शन करने या प्रवचन सुनने गए हैं तो हो सकता है कि उन चार में से आपको तीन संत ही नजर आए बाकी जो एक संत जो ज्ञानगंज से आए हैं वे आपको नजर न आए। ऐसी मान्यता के चलते ही जानकार लोग ऐसे संतों से मिलने के लिए ही साधुओं के शिविर में दर्शन करने के लिए जाते रहते हैं और कुछ तो कल्पवास का संकल्प लेकर उन्हें ढूंढते हैं।